क्या ऐसी कोई तकनीक नहीं है जिसमें हम अपने में मौजूद कमियों को ढूँढते हैं और पाने पर उन्हें अपने से निकालने की प्रक्रिया करते हैं। ज़रूर ऐसी कोई तकनीक होगी और हमें सबसे पहले ऐसी तकनीक को खोजना है और ऐसी तकनीक का आचरण किए हुए उस व्यक्ति से उसके अनुभव को जानना है।
कुछ विचार जो ज़हन में आते हैं कि एक हो सकती है वह है विपाश्यना जिसमें आप खुद का निरीक्षण करते हैं जिसमें शारीरिक व मानसिक निरीक्षण शामिल होता है। चलो ये मान लिया कि पूर्वी चिन्तन का ये एक नमूना है और इससे मिलते जुलते कुछ और चिन्तन भी ज़रूर मिल जाएँगे।
एक लाभकारी कदम होगा कि हम कुछ पश्चिमी चिन्तन में भी कुछ इस मुद्दे से जुड़े़ कुछ विचारों को खोजें। यह खासकर इसलिए भी ज़रूरी हो जाता है क्योंकि पश्चिमी विचार-धारा अब सिर्फ पश्चिमी विरासत न रहके बलकि एक वैश्विक विचार-धारा बन चुकी है। इसमें सिर्फ पश्चिमी विचारकों का ही नहीं योगदान है बलकि पूर्व के चिन्तक भी इस विचार-धारा के पूरक हैं।
जो एक तकनीक या विचार धारा मेरे ज़हन में आती है वह है ट्राँज़ॅक्षनल अनॅलिसिस् जिसमें यह माना जाता है कि हम अपने माँ बाप कि अच्छी व बुरी आदतों के सम्वाहक होते हैं।